जो ‘पादरी’ से बने सुप्रीम कोर्ट जज, जिन्होंने राम मंदिर पर फैसले को बताया ‘न्याय का मजाक’, उनको NHRC का अध्यक्ष बनवाना चाहती थी कॉन्ग्रेस: जस्टिस रामासुब्रमण्यन की नियुक्ति से हुई नाराज
रोहिंटन नरीमन सुप्रीम कोर्ट में जज रहे हैं। कॉन्ग्रेस ने उनकी वकालत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के मुखिया तौर पर हाल ही में की।
कॉन्ग्रेस ने एक बार फिर से एक ऐसे व्यक्ति की देश के महत्वपूर्ण पद के लिए वकालत की है, जिसने हाल ही में हिन्दुओं को लेकर आपत्तिजनक बातें कही थीं। इसी व्यक्ति ने राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत बताया था। यह व्यक्ति जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन हैं। रोहिंटन नरीमन सुप्रीम कोर्ट में जज रहे हैं। कॉन्ग्रेस ने उनकी वकालत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के मुखिया तौर पर हाल ही में की। उनको नियुक्त ना किए जाने पर कॉन्ग्रेस ने एक डिसेंट नोट (असहमति पत्र) भी लिखा है। यह पत्र अब सामने आया है।
NHRC के मुखिया के तौर पर सोमवार (23 दिसम्बर, 2024) को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज वी रामासुब्रमण्यन को नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति उस कमिटी की सिफारिश पर की गई है, जो NHRC के मुखिया और सदस्यों के नामों पर मुहर लगाती है।
Rahul Gandhi says unhappy with selection of a Hindu NHRC (National Human Rights Commission) chief, wanted a Parsi or a Christian chief for justice & inclusiveness and a Muslim member of NHRC for Plural diversity and Constitutional accountability pic.twitter.com/aOrEs9I6Sk— Megh Updates (@MeghUpdates) December 24, 2024
इस कमिटी में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के साथ ही संसद के दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष और राज्यसभा के उपसभापति भी होते हैं। इसी कमिटी की बैठक में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस मुखिया तथा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रोहिंटन नरीमन के नाम की वकालत की थी।
यह बैठक 18 दिसम्बर, 2024 को संसद भवन में हुई थी। इस बैठक में जस्टिस रोहिंटन नरीमन के नाम पर सहमति ना बनने के कारण राहुल गाँधी और खरगे ने एक असहमति का नोट लिखा। इस असहमति नोट में उन्होंने कहा है कि वह जस्टिस फली नरीमन को इसलिए NHRC का मुखिया बनाना चाहते थे क्योंकि वह अल्पसंख्यक पारसी समुदाय से आते हैं।
इसके अलावा उन्होंने नरीमन को बौद्धिक गहराई और संवैधानिक मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध बताया है। इन्हीं फली नरीमन ने हाल ही में जस्टिस AM अहमदी मेमोरियल लेक्चर में हिन्दुओं को लेकर काफी अशोभनीय बातें कही थी।
उन्होंने राम मंदिर को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट को कोसा था और मस्जिद ना बनाने पर दुख जाहिर किया था। रोहिंटन नरीमन ने कहा था कि 1984 में विश्व हिन्दू परिषद की राम मंदिर बनाने की माँग ‘तानाशाही’ और ‘अत्याचारी’ थी। उन्होंने कहा राम मंदिर के मामले में हिन्दू पक्ष को हमेशा कानून के खिलाफ रहने वाला भी करार दिया था।
रोहिंटन नरीमन ने इसी वक्तव्य में इस बात पर भी निराशा जताई थी कि बाबरी गिराने के एवज में उसी राम जन्मभूमि के सीने पर मस्जिद दुबारा क्यों नहीं खड़ी की गई। मस्जिद ना तामीर किए जाने को नरीमन ने ‘न्याय के साथ भद्दा मजाक‘ बताया था और कहा था कि यह एक भरपाई होती।
जिन रोहिंटन नरीमन ने देश की लगभग 100 करोड़ हिन्दू आबादी के लिए श्रद्धेय राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त करने वाले फैसले को गलत बताया, उन्हें मानवाधिकार आयोग का मुखिया बनाना चाहती थी। जिस मानवाधिकार आयोग का काम देश के सभी लोगों को सर उठा कर जिन्दगी जीने के अधिकार को सुरक्षित करना है, उसका मुखिया कॉन्ग्रेस उन रोहिंटन नरीमन को बनाना चाहती थी जो राम मंदिर मामले में हिन्दुओं को कानून के खिलाफ मानते हैं। विचारणीय बात यह है कि रोहिंटन नरीमन यदि इसके अध्यक्ष बनते तो उनके हिन्दुओं के प्रति क्या विचार रहते।
रोहिंटन नरीमन के पिता फली नरीमन ने भी हिन्दू संत योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने को लेकर भी अपनी खीझ दिखाई थी। उन्होंने यह तब किया था जब अपने बेटे रोहिंटन नरीमन को पारसी समुदाय का पादरी बनाया था।
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