जिनको आयुर्वेद/वेदों का ज्ञान नहीं, च्यवनप्राश कैसे बनाएँगे? बाबा रामदेव की पतंजलि के खिलाफ डाबर पहुँचा हाई कोर्ट, सिब्बल बोले- आदतन अपराधी, विज्ञापन पर रोक लगे

डाबर ने हाई कोर्ट से तुरंत आदेश देने की माँग की है ताकि पतंजलि को इस प्रकार के निगेटिव प्रचार विज्ञापनों को चलाने से रोका जा सके।

Dec 24, 2024 - 20:05
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जिनको आयुर्वेद/वेदों का ज्ञान नहीं, च्यवनप्राश कैसे बनाएँगे? बाबा रामदेव की पतंजलि के खिलाफ डाबर पहुँचा हाई कोर्ट, सिब्बल बोले- आदतन अपराधी, विज्ञापन पर रोक लगे
पतंजलि vs डाबर

मशहूर कंपनी डाबर ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक मामला दायर किया है। डाबर का आरोप है कि पतंजलि अपने च्यवनप्राश उत्पादों के खिलाफ निगेटिव ऐड्स यानी विज्ञापन (नकारात्मक प्रचार अभियान) चला रहा है। डाबर ने हाई कोर्ट से तुरंत आदेश देने की माँग की है ताकि पतंजलि को इस प्रकार के निगेटिव प्रचार विज्ञापनों को चलाने से रोका जा सके। दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस मिनी पुष्करना ने इस मामले में नोटिस जारी किया है और मामले की सुनवाई जनवरी के आखिरी सप्ताह में की जाएगी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जज ने पहले इस मामले को मध्यस्थता के लिए भेजने का विचार किया था, लेकिन डाबर के द्वारा तुरंत राहत की माँग करने पर उन्होंने इस मामले की सुनवाई का निर्णय लिया। डाबर को विशेष आपत्ति पतंजलि के उस विज्ञापन पर है जिसमें स्वामी रामदेव कहते हैं, “जिनको आयुर्वेद और वेदों का ज्ञान नहीं, चारक, सुश्रुत, धन्वंतरि और च्यवनऋषि की परंपरा में ‘ऑरिजिनल’ च्यवनप्राश कैसे बना पाएँगे?” इस बयान से यह इशारा किया जा रहा है कि केवल पतंजलि का च्यवनप्राश ‘ऑरिजिनल’ है और बाजार में बाकी कंपनियों के च्यवनप्राश उत्पादों को आयुर्वेद की परंपरा का ज्ञान नहीं है, इस कारण वे नकली या साधारण हैं।

डाबर की ओर से वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल ने इस मामले में तर्क रखा और कहा कि पतंजलि आयुर्वेद लगातार ऐसा कर रहा है। उन्होंने इस साल पतंजलि के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला भी दिया, जिसमें पतंजलि पर अवमानना का मामला दर्ज किया गया था। सिब्बल का कहना है कि ‘साधारण’ कहकर पतंजलि ने च्यवनप्राश की पूरी श्रेणी को ही निचा दिखाया है, जो आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक प्राचीन और मान्यता प्राप्त रूप है। उन्होंने कहा कि ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत सभी च्यवनप्राश को प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में दिए गए विशिष्ट सूत्रों और सामग्री का पालन करना अनिवार्य है, जिससे यह दावा कि कुछ च्यवनप्राश ‘साधारण’ हैं, गुमराह करने वाला और प्रतियोगियों के लिए हानिकारक है।

सिब्बल ने यह भी बताया कि पतंजलि ने इस विज्ञापन को विभिन्न टीवी चैनलों पर चलाया है, जिनमें कलर्स, स्टार, जी, सोनी और आज तक शामिल हैं। इसके अलावा, यह विज्ञापन दैनिक जागरण के दिल्ली संस्करण में भी प्रकाशित हुआ है। उन्होंने अदालत को बताया कि इन विज्ञापनों को पिछले तीन दिनों में 900 बार दिखाया गया है, और ये विज्ञापन जनता के दिमाग पर असर डाल सकते हैं।

पतंजलि आयुर्वेद की ओर से वरिष्ठ वकील जयंत मेहता ने दायर की गई याचिका की वैधता पर सवाल उठाए और मामले का जवाब दाखिल करने के लिए समय माँगा। इस प्रकार यह मामला अब दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए है और देखना होगा कि अदालत किस पक्ष में फैसला सुनाती है।

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