गोतस्करी में अचानक क्यों आने लगे हिंदुओं के भी नाम?: षड्यंत्र के पीछे कई सरगना, कहीं डिफेंस लाइन के तौर पर इस्तेमाल, कोई ₹200 देकर नाबालिग हिंदुओं का कर रहा ब्रेनवॉश

कहा जाता है कि कुख्यात गोतस्कर अपनी डिफेंस लाइन को मजबूत करने के लिए अपनी क्राइम में हिंदुओं को भी शामिल कर लेते हैं।

Dec 15, 2024 - 21:46
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गोतस्करी में अचानक क्यों आने लगे हिंदुओं के भी नाम?: षड्यंत्र के पीछे कई सरगना, कहीं डिफेंस लाइन के तौर पर इस्तेमाल, कोई ₹200 देकर नाबालिग हिंदुओं का कर रहा ब्रेनवॉश
हिन्दू गोतस्करी लालच पुलिस

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में पुलिस ने 8 दिसंबर 2024 को गोतस्करों के एक गिरोह को पकड़ा। इसका सरगना उमर था, जो हिन्दू के वेश में गोहत्या का रैकेट को चला रहा था। वह गले में भगवा गमछा रखता, माथे पर तिलक लगाता और हाथ में त्रिशूल रखता था। उसे देखकर लोग उसे हिन्दू संत समझते थे। इस दौरान गोतस्करी के कई ऐसे रैकेट का खुलासा हुआ, जिसमें आरोपित हिन्दू समुदाय के हैं।

गाय को माँ मानने वाले हिन्दुओं की गोकशी में गिरफ्तारी आम लोगों के लिए बेहद नया और चौंकाने वाली घटना है। ऑपइंडिया ने इन घटनाओं की बारीकी से पड़ताल की और इन घटनाओं के तमाम पहलुओं को खंगाला गया। इस पड़ताल में तमाम ऐसे कारणों का खुलासा हुआ, जो कई अनसुलझे सवालों का जवाब देते हैं।

क्या कहते हैं सरकारी आँकड़े

उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले को लिया जाए तो गौवध अधिनियम में दर्ज केसों में हिन्दुओं की संलिप्तता का प्रतिशत लगभग 15 है। साल 2024 में जनवरी से नवंबर तक पूरे जिले के विभिन्न थानों में गौवध अधिनियम के कुल 27 केस दर्ज हुए हैं। इसमें 4 मुकदमों में हिन्दू समुदाय के आरोपित नामजद किए गए हैं।

ये मुकदमे बुढ़ाना, नई मंडी और चरथावल पुलिस स्टेशनों में दर्ज हुए हैं। ऑपइंडिया द्वारा जुटाई गई जानकारी में यह भी निकल कर आया कि इन मुकदमों में हिन्दू आरोपितों की संलिप्तता कटे मांस के ट्रांसपोर्ट करने, जीवित गायों को वाहनों में एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने तथा गायों की खरीद-बिक्री करने जैसे कामों में पाई गई है।

एक संदिग्ध की गलती से कई हिन्दू फँसे

गोतस्करी में हिन्दुओं की संलिप्तता का सबसे चर्चित मामला हाल ही में नोएडा से सामने आया था। 9 नवंबर 2024 को ग्रेटर नोएडा में गोरक्षकों के सहयोग से नोएडा पुलिस ने गोमांस की एक बड़ी खेप बरामद की थी। इससे एक ऐसे नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जिसमें गाय पश्चिम बंगाल में काटी जाती थी और उसका मांस कंटेनर में भरकर नोएडा लाई जाती थी। यहाँ इसे एक कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता था।

फिर इस मांस को दिल्ली-एनसीआर और उत्तराखंड सहित कई जगहों पर सप्लाई की जाती थी। पुलिस ने 185 टन गोमांस बरामद किए जाने की बात कही है। एक अनुमान के मुताबिक, इतना मांस कम-से-कम 8-10 हजार गायों को काटकर जमा किया गया होगा। जिस ट्रक में ये मांस नोएडा लाया गया था, उसे शिव शंकर चला रहा था, जबकि ट्रक में खलासी सचिन था। दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

जिस जगह यह गोमांस रखा गया था, उस कोल्ड स्टोरेज का मालिक पूरन जोशी और मैनेजर अक्षय सक्सेना है। जिस कंपनी के जरिए ये गोमांस सप्लाई होती थी, उसके डायरेक्टर मोहम्मद खुर्शिदुन नबी को इन दोनों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है। जाँच के दौरान पुलिस को इस केस में शोएब हक्कानी के साथ अविनाश कुमार और राकेश सिंह की मिलीभगत की जानकारी हुई थी।

ये तीनों टोरो प्राइमरी प्राइवेट लिमिटेड नाम की कम्पनी में स्टाफ हैं। इस कम्पनी पर कोल्ड स्टोरेज में रखे गए गोमांस की खरीद-फरोख्त का आरोप है। इस घटना का खुलासा करने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले गौरक्षक वेद नागर ने ऑपइंडिया से बात की। वेद ने हमें बताया कि पैसों के लालच में पूरन जोशी नामक प्रमुख आरोपित ने बाकी सभी हिन्दुओं को अपने अपराध में बलि का बकरा बना डाला है।

उन्होंने बताया कि ट्रक ड्राइवर शिव शंकर और खलासी सचिन को पता ही नहीं था कि जिस ट्रक को वो ला रहे हैं उसमें क्या लोड किया गया है। पश्चिम बंगाल में गोमांस की लोडिंग के समय भी इन दोनों को कहीं बहाने से भेज दिया जाता था और लोड हो जाने के बाद उन्हें बुला लिया जाता था। इसके बाद उन्हें एक मैप देकर उसके अनुसार चलने के लिए कह दिया जाता था।

वेद नागर का दावा है कि कोल्ड स्टोरेज के मालिक पूरन जोशी के इंटरनेशनल गोतस्करों से रिश्ते हैं। उन्होंने आशंका जताई है कि पूरन जोशी ने इस्लाम कबूल कर लिया है। नागर का कहना है कि खुद को हिन्दू कहने वाला व्यक्ति गोमांस की तस्करी नहीं कर सकता है। इस मामले में गिरफ्तार अन्य हिन्दुओं को नागर ने पूरन जोशी का सहयोगी भर बताया हैं, जिन्हें इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था।

नैतिकता और संस्कारों में कमी बन रही वजह

UP के बाराबंकी जिले में पड़ने वाले सतरिख थानाक्षेत्र में पुलिस ने सोमवार (9 नवंबर 2024) को मुठभेड़ के बाद 7 गोतस्करों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आरोपितों के पास से चाकू, तमंचे, वाहन आदि बरामद हुए थे। इन 7 गोतस्करों में सरवर, गुफरान, मोहम्मद उमर, नबीजान और मोहम्मद अजीज के अलावा अंकुल गुप्ता नाम का एक युवक भी था। इन आरोपितों ने पुलिस पर गोली भी चलाई थी।

ऑपइंडिया ने इस मामले में निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी वेदमूर्तिनंद सरस्वती से बात की। स्वामी वेदमूर्तिनंद ने बताया कि वर्तमान समय में हिन्दुओं के घरों में अभिभावक अपने बच्चों को मॉर्डन बनाने के चक्कर में संस्कारों से दूर करते जा रहे हैं। कालांतर में वही संतानें गोहत्या जैसे पापों में शामिल हो रही हैं जिनके माता-पिता ने उनको कभी धर्म, गाय, गंगा और गीता आदि की शिक्षा नहीं दी।

स्वामी वेदमूर्तिनंद ने हमें आगे बताया कि वो गोहत्या और गोवंश की तस्करी में बढ़ रही हिन्दुओं की संख्या से चिंतित हैं और आगामी महाकुंभ में तमाम साधु संतों के साथ वे इस मुद्दे पर गहन मंथन करेंगे। उन्होंने कहा कि इस मंथन के बाद साधु-संत इस मामले में किसी समाधान की तरफ बढ़ेंगे।

लग्जरी जीवन की चाह में पाप

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में अक्टूबर 2024 में पुलिस ने गोतस्करी के एक रैकेट का खुलासा किया था। इस रैकेट में प्रताप मौर्य व उसका भाई बबलू शामिल पाए गए थे। ये दोनों देवरनियाँ थाना क्षेत्र के शरीफनगर गाँव के एक गोशाला के केयरटेकर थे। आरोप है कि इस गोशाला से गोहत्या के लिए गायें भेजी जाती थीं। इनके खरीदारों में अधिकतर मुस्लिम समुदाय के लोग थे।

पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। आरोपितों में कुछ मुस्लिम भी थे, जो गायों को काटने का काम करते थे। इनकी गिरफ्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बरेली के विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी हिमांशु पटेल से ऑपइंडिया ने बात की। हिमांशु ने बताया कि लम्बे समय से इस नेटवर्क पर उनकी नजर थी। प्रताप और बबलू गोशाला से 2-3 हजार रुपया प्रति गाय बेच देते थे।

इन गायों में अधिकतर बीमार और बूढ़े गोवंश होते थे, जिन्हें मुस्लिम समुदाय के कसाई जंगलों में ले जाकर उन्हें काट देते थे। जब हमने हिमांशु पटेल से प्रताप मौर्य और उसके भाई बबलू की गोतस्करी में मिलीभगत की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि प्रताप और बबलू लग्जरी लाइफ के शौकीन थे। कुछ पैसों के लालच में वे गोहत्या जैसे अपराध में शामिल हो गए।

हिमांशु ने आगे बताया कि दोनों आरोपित भाई आर्थिक रूप से कमजोर थे। वे गौशाला में काम करते थे और इन दोनों को 6 से 7 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता था। हालाँकि, महंगे शौक ने इन्हें हिन्दू विरोधी अपराध की तरफ धकेल दिया। बकौल हिमांशु पटेल, वो और उनका संगठन गोतस्करी में शामिल हर वर्ग, मत और मज़हब के व्यक्ति को एक ही जैसी सजा की माँग करता है।

गोतस्करी में डिफेंस लाइन के तौर पर हिन्दुओं का इस्तेमाल

ऑपइंडिया ने हैदराबाद से भाजपा विधायक टी राजा सिंह से बात की। टी राजा सिंह ने हमें बताया कि गोहत्या की जड़ में चरमपंथी मुस्लिम समुदाय के लोग होते हैं, लेकिन वो बेहद गरीब हिन्दुओं को लालच देकर उन्हें अपनी डिफेन्स लाइन के तौर पर प्रयोग में लाते हैं। राजा सिंह का कहना है कि गोतस्करी में उन्हीं हिन्दुओं को लगाया जा रहा है, जो गाय के महत्व को नहीं जानते और बेहद गरीब होते हैं।

राजा सिंह ने बताया कि तस्करी में इस्तेमाल ट्रक ड्राइवर और क्लीनर के साथ-साथ लेबर भी हिन्दू होते हैं। उन्होंने इसे पकड़े जाने पर मारपीट आदि से बचने के लिए मुस्लिम तस्करों द्वारा अपनाई जा रही डिफेंस लाइन बताया। तेलंगाना का जिक्र करते हुए राजा सिंह ने कहा कि हिन्दुओं को गलत साबित करने की सोच में कई बार मुस्लिम लोग बकरीद में गरीब हिंदू से ही गाय की कुर्बानी तक करवा देते थे।

गोवंश के खिलाफ राजनैतिक बयानबाजी फैला रही नफरत

भाजपा विधायक राजा सिंह ने गोतस्करी में कुछ हिन्दुओं के शामिल होने की वजह विपक्षी दलों के नेताओं की बयानबाजी बताया है। अखिलेश यादव का उदहारण देते हुए राजा सिंह ने कहा कि वो आए दिन सड़क से लेकर संसद तक बेसहारा गायों को ही देश की सबसे बड़ी समस्या बता रहे हैं। इससे उनकी बातों पर जरा-सा भी विश्वास करने वाले हिन्दुओं में गोमाता के प्रति नफरत का भाव जगता है।

राजा सिंह ने अखिलेश यादव को डिब्बे का दूध पीने वाला बताते हुए लोगों से उनकी बातों पर ध्यान नहीं देने की भी अपील की है। उन्होंने हमें बताया कि कोई भी हिन्दू गोहत्या को जायज नहीं बताता है। वह गाय को माँ मानता है और उसे काटने वाले को अपने धर्म का शत्रु मानता है। बकौल राजा सिंह, कुछ हिन्दुओं को मोहरा बनाकर पूरे समुदाय पर अंगुली उठाने की साजिश रचने वालों के मंसूबे पूरे नहीं होंगे।

गोतस्करी में शामिल हिन्दुओं पर पुलिसकर्मियों के मत

ऑपइंडिया ने गोतस्करी हिन्दुओं के शामिल होने की वजह की पड़ताल में कुछ रिटायर्ड और वर्तमान पुलिसकर्मियों से बात की। नाम नहीं छापने की शर्त पर पुलिसकर्मियों ने साफ तौर पर कहा कि गोतस्करी में हिन्दुओं के शामिल होने की मूल वजह उनका लालच है। हालाँकि, उन सभी ने यह भी कहा कि हिन्दुओं की अधिकतम मिलीभगत गायों को यहाँ से वहाँ ले जाना तक ही सीमित है।

इसी वजह से अधिकतर ड्राइवर, खलासी व उनके कुछ अन्य सहयोगी पुलिस द्वारा साजिश में शामिल मानकर पकड़े जाते हैं। एक पुलिस इंस्पेक्टर ने ऑपइंडिया को यह भी बताया कि हिंदुओं के सामाजिक ताने-बाने में गोहत्यारा को कभी स्वीकार नहीं किया जाता। ऐसे में लिस्टेड गोतस्कर एक साजिश के तहत अपने साथ में हिन्दू समाज के किसी व्यक्ति को शामिल करने की पूरी कोशिश करते हैं।

पुलिस ने इंस्पेक्टर ने आगे बताया कि गोस्तकरों के साथ अगर कोई हिंदू रहेगा तो लोग उस पर शंका नहीं करेंगे। अगर शंका करके पकड़ भी लिए तो केस दर्ज होने में मुश्किल आएगी। एक पुलिसकर्मी का यह भी कहना है कि कई बार गोतस्कर ही अपने क्षेत्र में सक्रिय गोरक्षकों को कानूनी जाल में फँसाने के लिए उनका नाम ले लेते हैं। इस तरह के आरोप जाँच के बाद झूठे भी पाए जाते हैं।

गोतस्करी के लिए नाबालिग हिन्दुओं का ब्रेनवॉश

एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि गोहत्यारों द्वारा नाबालिग हिन्दू बच्चों का ब्रेनवॉश करके महज 200 से 500 रुपए में गोतस्करी जैसे अपराध करवाए जा रहे हैं। रायबरेली के थाना जगतपुर में साल 2022 के एक केस में गिरफ्तारी के बाद यह भेद खुला। हमें बताया गया कि 13-14 साल के नाबालिगों के माता-पिता को भी नहीं पता था कि उनका बेटा गोतस्करी में शामिल है।

लगभग आधे दर्जन नाबालिगों को दिन भर अलग-अलग इलाकों में घूमने के लिए प्रतिदिन के हिसाब से 200 से 300 रुपए मिलते थे। उनको कहा जाता था कि कहीं भी बेसहारा गोवंश दिखे तो फ़ौरन उसे किसी पेड़ से बाँध कर फोन पर सूचना दो। जब गोवंश बाँध दिए जाते थे तो गोतस्कर अपने वाहन से उन्हें लाद कर काटने के लिए कहीं दूर लेकर चले जाते थे।

ऐसे चलता है गोहत्यारों का अर्थतंत्र

एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने ऑपइंडिया को बताया कि एक स्वस्थ्य सांड (नर गोवंश) को काट कर गोतस्कर लगभग 10 से 15 हजार रुपए कमाते हैं। इनके मांस, हड्डी और खालों को अलग-अलग ठिकानों पर बेचा जाता है। मांस खाने, जबकि खाल जूते-जैकेट आदि बनाने के काम में आती हैं। पूर्व अधिकारी का दावा है कि एक गोतस्कर का तंत्र मांस से लेकर खाल तक के वैध-अवैध कारोबार से जुड़ा होता है।

नाम न छापने की शर्त पर उस पूर्व अधिकारी ने बताया कि यही वजह है कि जो गोतस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के बावजूद वो जल्द ही जेलों से छूट जाते हैं, क्योंकि उनकी पैरवी उच्चस्तर पर होती है। हमें यह भी बताया गया कि बदलते समय और सरकार में जैसे सख्ती बढ़ती जा रही है उसी का परिणाम है कि अब गोतस्कर अपने डिफेन्स में कुछ हिन्दुओं को लालच देकर अपने साथ रखना शुरू कर चुके हैं।

पुलिस में भी हैं दोनों मानसिकता के अधिकारी/कर्मचारी

हिन्दू और गोरक्षा संगठनों से हुई बातचीत के दौरान हमें बताया गया कि पुलिस विभाग में भी दोनों मानसिकता के अधिकारी और कर्मचारी होते हैं। कुछ पुलिसकर्मी अपने क्षेत्र में लालच के चक्कर में गोतस्करों से मिलकर उनको बढ़ावा देते हैं। हालाँकि, प्रशासन में कई स्टाफ ऐसे भी हैं, जो गोहत्या जैसे मामले में हर प्रकार के दबाव और लालच को दूर रखकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हैं।

बरेली के विहिप नेता हिमांशु पटेल ने कहा कि कुछ पुलिसकर्मी ऐसे भी हैं, जो अपनी गलतियों को दबाने के लिए उन हिन्दुओं पर केस दर्ज करने की फिराक में लगे रहते हैं जो अपने इलाके में होने वाली गोतस्करी को मुद्दा बनाकर उठाना शुरू कर देते हैं। हिमांशु पटेल ने उम्मीद जताई है कि उत्तर प्रदेश शासन ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों को जल्द चिन्हित करके उनको दंडित करेगा।

हर केस होगा दर्ज, तभी काबू में आएँगे गोतस्कर

ऑपइंडिया की जमीनी पड़ताल में पता चला कि जिस भी थानाक्षेत्र में गोकशी होती है, वहाँ के संबंधित प्रभारी मामले को दबाने की भरसक कोशिश में जुट जाते हैं। ऐसा करने के पीछे की मुख्य वजह अपने ऊपर होने वाली विभागीय कार्रवाई से बचना होता है। गोहत्या साम्प्रदायिक तौर पर संवेदनशील मुद्दा माना जाता है। साथ ही विशेषकर उत्तर प्रदेश के वर्तमान शासन में ऐसा नहीं होने देने के सख्त निर्देश हैं।

उत्तर प्रदेश के जिस क्षेत्र में गोकशी की घटनाएँ होती हैं, वहाँ के पुलिस अधिकारी को अपनी कुर्सी खतरे में दिखने लगती है। कुछ पुलिसकर्मियों के साथ हिन्दू संगठन से जुड़े सदस्यों ने नाम नहीं बताने और कैमरे पर नहीं आने की शर्त पर हमें बताया कि अक्सर गोकशी की घटना को प्रशासन द्वारा इन्हीं कारणों से दबाने की कोशिश की जाती है।

उनका कहना है कि अगर उन्हें हर केस दर्ज करके गोतस्करों को चिन्हित करके उन पर कड़ी कार्रवाई के लिए फ्री-हैंड दे दिया जाए तो कुछ एक मामलों में ही तमाम गोतस्कर व गोहत्यारे जेल की सलाखों के पीछे होंगे। उन्होंने इसे दीर्घकालिक समय में सकारात्मक बदलाव लाने वाला संभावित कदम बताया है।

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