नाबालिग लड़की से रेप के बाद पैदा हुआ बच्चा: कोर्ट ने देखभाल के लिए आरोपित को दी बेल, कहा- बाल आश्रय में पलने वाले शिशु का क्या दोष?, देना होगा ₹10000 महीना
अदालत ने दिल्ली स्थित बाल आश्रय गृह को आदेश दिया है कि वो एम्स से बच्चे के स्वास्थ्य की जाँच करवाकर 15 दिनों में रिपोर्ट दाखिल करे।
दिल्ली की एक अदालत ने नाबालिग से रेप के मामले में 22 वर्षीय एक आरोपित को अग्रिम जमानत दे दी है। अदालत ने आरोपित और पीड़िता से जन्मे 5 माह के बच्चे के भरण-पोषण को पहली प्राथमिकता माना है। बच्चा फिलहाल सरिता विहार के आश्रय गृह में है। उसके पिता को बच्चे के लिए 10,000 रुपए प्रतिमाह देने और 2 लाख रुपए की FD (फिक्स डिपॉजिट) भी करवाने का आदेश दिया है।
न्यायालय ने न सिर्फ आरोपित व्यक्ति, बल्कि पीड़िता पर भी नाराजगी दिखाई और कहा कि दोनों में से कोई भी बच्चे के लिए चिंतित नहीं था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामले की सुनवाई साकेत कोर्ट में न्यायाधीश अनु अग्रवाल ने की। यहाँ नाबालिग लड़की से रेप के आरोपित एक व्यक्ति द्वारा 29 अगस्त 2024 को अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की गई थी।
उस समय आरोपित ने खुद को पीड़िता से शादी करने के लिए तैयार बताया था और इसी आधार पर जमानत की माँग की थी। दोनों पक्षों ने 5 माह के अपने बच्चे को साथ रखने की इच्छा नहीं जताई थी। यह बच्चा फिलहाल दिल्ली के सरिता विहार स्थित आश्रय गृह में है। जब अदालत ने दोनों पक्षों से बच्चे के भविष्य को लेकर सवाल किया तब उन्होंने उसे अपने पास रखने की हामी भरी।
आरोपित द्वारा पीड़िता से शादी करने के लिए भरी गई हामी पर न्यायालय ने कहा कि इससे लगता है कि दोनों के बीच संबंध सहमति से बने होंगे। कोर्ट ने आगे कहा कि शिकायतकर्ता ने आरोपित को अपनी कितनी उम्र बताई थी, ये ट्रायल का विषय है। पीड़िता से अदालत ने कहा कि इस केस में दूसरा पीड़ित वो बच्चा है, जिसका कोई दोष नहीं है।
अदालत ने बाल कल्याण गृह को बच्चे के नाम से अलग खाता खोलने का आदेश दिया गया। बच्चे के पिता को हर माह उस खाते में 10,000 रुपए पालन-पोषण के लिए जमा करने होंगे। बाल कल्याण गृह को भी निर्देश दिया कि खाते में से कोई भी पैसा निकालने से पहले कोर्ट की अनुमति ली जाए। प्रभारी को एम्स से बच्चे का स्वास्थ्य जाँच करवाकर 15 दिन में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
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